Bharatiya Sakshya Act, 2023 Section 35 in Hindi
35. (1) किसी सक्षम न्यायालय के प्रोबेट-विषयक, विवाह-विषयक, नावधिकरण- विषयक या दिवाला-विषयक अधिकारिता के प्रयोग में दिया हुआ अन्तिम निर्णय, आदेश या डिक्री, जो किसी व्यक्ति को, या से, कोई विधिक हैसियत प्रदान करती या ले लेती है या जो सर्वतः न कि किसी विनिर्दिष्ट व्यक्ति के विरुदध किसी व्यक्ति को ऐसी किसी हैसियत का हकदार या किसी विनिर्दिष्ट चीज का हकदार घोषित करती है, तब सुसंगत है जब कि किसी ऐसी विधिक हैसियत, या किसी ऐसी चीज पर किसी ऐसे व्यक्ति के हक का अस्तित्व सुसंगत है।
(2) ऐसा निर्णय, आदेश या डिक्री इस बात का निश्चायक सबूत है कि-
(i) कोई विधिक हैसियत, जो वह प्रदत्त करती है, उस समय प्रोभूत हुई जब ऐसा निर्णय, आदेश या डिक्री परिवर्तन में आई |
(ii) कोई विधिक हैसियत, जिसके लिए वह किसी व्यक्ति को हकदार घोषित करती है, उस व्यक्ति को उस समय प्रोद्भूत हुई जो समय ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री द्वारा घोषित है कि उस समय यह उस व्यक्ति को प्रोद्भूत हुई:
(iii) कोई विधिक हैसियत, जिसे वह किसी ऐसे व्यक्ति से ले लेती है उस समय खत्म हुई जो समय ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री द्वारा घोषित है कि उस समय से वह हैसियत खत्म हो गई थी या खत्म हो जानी चाहिए और
(iv) कोई चीज जिसके लिए वह किसी व्यक्ति को ऐसा हकदार घोषित करती है उस व्यक्ति की उस समय सम्पत्ति थी जो उस समय ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री द्वारा घोषित है कि उस समय से वह चीज उसकी सम्पत्ति थी या होनी चाहिए ।
Bharatiya Sakshya Act, 2023 Section 35 in English
- (1) A final judgment, order or decree of a competent Court or Tribunal, in the exercise of probate, matrimonial, admiralty or insolvency jurisdiction, which confers upon or takes away from any person any legal character, or which declares any person to be entitled to any such character, or to be entitled to any specific thing, not as against any specified person but absolutely, is relevant when the existence of any such legal character, or the title of any such person to any such thing, is relevant.
(2) Such judgment, order or decree is conclusive proof that—
(i) any legal character, which it confers accrued at the time when such judgment, order or decree came into operation;
(ii) any legal character, to which it declares any such person to be entitled, accrued to that person at the time when such judgment, order or decree declares it to have accrued to that person;
(iii) any legal character which it takes away from any such person ceased at the time from which such judgment, order or decree declared that it had ceased or should cease; and
(iv) anything to which it declares any person to be so entitled was the property of that person at the time from which such judgment, order or decree declares that it had been or should be his property